स्मार्ट खेती में एनएचबी सब्सिडी: पूरी जानकारी, लाभ और आवेदन प्रक्रिया

भारत में आधुनिक खेती की ओर किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। पारंपरिक खेती की तुलना में स्मार्ट कमर्शियल फार्मिंग न केवल अधिक उत्पादन देती है बल्कि सरकार की ओर से मिलने वाली एनएचबी (नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड) सब्सिडी इसे और अधिक फायदेमंद बना देती है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि एनएचबी सब्सिडी कितनी मिलती है, कौन-कौन सी फसलें इसके अंतर्गत आती हैं, प्रोजेक्ट की लागत कितनी होती है और इसकी पूरी आवेदन प्रक्रिया क्या है।

एनएचबी सब्सिडी क्या है?

एनएचबी (National Horticulture Board) किसानों और उद्यमियों को कमर्शियल फार्मिंग, ग्रीनहाउस, पॉलीहाउस और हाई-टेक खेती के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसके तहत किसान अपने प्रोजेक्ट पर 50% तक सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।

किन फसलों पर मिलती है सब्सिडी?

पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस के अंदर विभिन्न उच्च मूल्य वाली फसलों और फूलों की खेती की जा सकती है। इनमें प्रमुख हैं:

  • फूलों की खेती – जरबेरा, डेज़ी आदि
  • सब्जियाँ – शिमला मिर्च (कैप्सिकम – रेड/येलो), खीरा (कुकुंबर), टमाटर (चेरी टमाटर सहित)

फसलवार सब्सिडी

  • जरबेरा फूल – ₹1,90,000 तक सब्सिडी
  • कैप्सिकम – ₹3,45,000 तक सब्सिडी
  • टमाटर – ₹3,45,000 तक सब्सिडी
  • कुकुंबर – ₹3,45,000 तक सब्सिडी

प्रोजेक्ट की लागत और सब्सिडी की गणना

  • एक एकड़ में लगभग 4000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल आता है।
  • पॉलीहाउस निर्माण की लागत औसतन ₹1150 प्रति वर्ग मीटर होती है।
  • इस हिसाब से एक एकड़ प्रोजेक्ट की लागत लगभग ₹46 लाख आती है।
  • एनएचबी की ओर से इसमें लगभग 50% यानी 23 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल जाती है।
  • इसी तरह यदि आप बड़े प्रोजेक्ट करते हैं तो सब्सिडी की कुल राशि ₹1 करोड़ तक पहुँच सकती है।

संभावित उत्पादन और आय

1. शिमला मिर्च (कैप्सिकम)

  • एक एकड़ में लगभग 12,000 पौधे लगाए जा सकते हैं।
  • प्रति पौधा औसतन 2–3 किलो उत्पादन मिलता है।
  • कुल उत्पादन लगभग 25–30 टन हो जाता है।
  • बाजार दर के अनुसार यह बहुत अच्छी आय का स्रोत बन जाता है।

2. टमाटर

  • एक सीजन में 8–9 महीने तक उत्पादन देता है।
  • उत्पादन क्षमता और बाजार दर के अनुसार आय कैप्सिकम जैसी ही होती है।

3. कुकुंबर (खीरा)

  • एक फसल का चक्र लगभग 4 महीने चलता है।
  • उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ लगभग 40–60 टन तक हो सकती है।

4. जरबेरा फूल

  • एक बार पौधे लगाने पर 3–4 साल तक उत्पादन मिलता है।
  • शहरों और निर्यात बाजारों में इसकी बहुत मांग रहती है।

आवेदन की प्रक्रिया

1. बैंक लोन

  • सबसे पहले किसानों को बैंक से लोन लेना आवश्यक है।
  • एनएचबी की सब्सिडी बैंक लोन से जुड़ी होती है।
  • कुल लागत का लगभग 75% तक बैंक लोन उपलब्ध होता है।

2. डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट)

  • बैंक को डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) जमा करनी होती है।
  • इसमें प्रोजेक्ट की लागत, फसल का विवरण और संभावित उत्पादन बताया जाता है।

3. दस्तावेज़

  • जमीन के कागजात / फर्द
  • आधार कार्ड, पैन कार्ड
  • बैंक पासबुक
  • प्रोजेक्ट का कोटेशन

4. वेरिफिकेशन

  • पौधे लगाने और प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद एनएचबी की टीम निरीक्षण करती है।
  • नियमों के अनुसार सब कुछ सही मिलने पर रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाती है।
  • इसके बाद सब्सिडी सीधे किसान के बैंक खाते में जारी कर दी जाती है।

अतिरिक्त लाभ: एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF)

एनएचबी सब्सिडी के साथ किसान एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) का लाभ भी ले सकते हैं।

  • यदि लोन की ब्याज दर 9% है, तो AIF के तहत 3% ब्याज सब्सिडी मिलती है।
  • इसका सीधा मतलब है कि किसान को केवल 6% ब्याज ही चुकाना पड़ेगा।

निष्कर्ष

एनएचबी सब्सिडी योजना किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर कमर्शियल और हाई-टेक खेती करने का सुनहरा अवसर देती है।

  • कम लागत में बड़े पैमाने पर उत्पादन
  • लंबे समय तक चलने वाली फसलें (जैसे जरबेरा फूल)
  • 50% तक की सब्सिडी और आसान बैंक लोन सुविधा

यदि सही तरीके से प्रोजेक्ट तैयार कर खेती की जाए तो किसान प्रति एकड़ लाखों रुपये तक की वार्षिक आय प्राप्त कर सकते हैं।

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